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हुमायूँ की असफलता के कारण लिखिये । Write the reasons for the failure of Humayun.

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हुमायूँ की असफलता के कारण लिखिये । Write the reasons for the failure of Humayun.

 

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हुमायूँ की असफलता के कारण निम्न है :-

साम्राज्य का विभाजन :- हुमांयू ने अपने शासन काल के प्रारंभ में अपने भाईयों में साम्राज्य का विभाजन कर दिया। वह हुमायूं की भयंकर भूल थी। उसने हिन्दाल को मेवात अल्वर का जिला जागीर के रूप में दे दिया। पंजाब, काबुल तथा कन्धार कामरान को दिए थे। संभल मिर्जा अफसरों को दिया था इस विभाजन से हुमायूं को शासन चलाने में निरंतर कठिनाईयों का सामना करना पड़ा इसमें व्यवस्था चरमरा गई।

कालिजर पर आक्रमण की असफलता :- अपने राज्यारोहण के कुछ ही माह पश्चात उसने कालिंजर पर आक्रमण किया और वहां के किले का घेरा डाल दिया। कई माह तक घेरा पड़ा रहा। अंत में हुमायूं ने कालिंजर के शासक के साथ समझौता कर लिया। इसमें हुमायूं को जन-धन की हानि का मुआवजा देना स्वीकार कर लिया। हुमायूं इतने से ही संतुष्ट हो गया और वहां से कूच कर दिया।

अफगानों के विरुद्ध प्रथम अभियान की असफलता :- सिकन्दर लोदी के पुत्र महमूद लोदी ने अफगानों की सहायता से हुमायूं के विरूद्ध विद्रोह का झण्डा बुलंद कर दिया और वह जौनपूर की ओर बढ़ता आ रहा था। इसलिए कालिंजर से शीघ्र ही पूर्व की ओर बढ़ा और दौहरिया नामक स्थान पर हुमायूं ने महमूद को पराजित किया। उसके तुरंत बाद चुनार के दुर्ग पर घेरा डाल दिया यह घेरा चार मास तक चलता रहा और अन्त में शेरखां ने कूटनीति से काम लेकर हुमायूं के पास आत्म समपर्ण कर प्रस्ताव भेजा और मुगल सम्राट के प्रति वफादार रहने का वचन दिया। हुमायूं ने अपने शत्रु का विश्वास करते हुए आत्म समर्पण स्वीकार कर लिया और घेरा उठा लिया और आगरा लौट गया। यह भी हुमायूं की बहुत बड़ी भूल थी।

समय तथा धन का दुरूपयोग :– चुनार से लौटने के बाद उसने आगरा तथा दिल्ली में रंगरेलियां मानाना शुरू कर दिया। यद्यपि उसका राजकोष पहले से ही खाली था लेकिन उसने उसकी परवाह न करते हुए उत्सवों तथा रंगरेलियों में तमाम धन व्यय कर दिया। इसकी वजह से आर्थिक व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा। साथ ही यह उत्सव ऐसे समय में मनाया गया जबकि हुमायूं चारो ओर से शत्रुओं से घिरा हुआ था उसने डेढ़ वर्ष का अमूल्य समय ऐसे आराम में बरबाद कर दिया।

बहादुरशाह के विरूद्ध अभियान :– आगरा में कुछ समय ठहरने के बाद हुमायूं ने बहादुरशाह को पत्र लिखकर अपने शत्रुओं को समर्पित करने का आग्रह किया लेकिन बहादुर शाह ने मांग को ठुकरा दिया। हुमायूं ने उसके विरूद्ध कूच करने का आदेश दे दिया। यह हुमायूं की सबसे बड़ी भूल थी जबकि यह अवसर बहादुरशाह को पूर्ण रूप से कुचलकर राजपूतों को मित्र बना सकता था।

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