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क्रांतिक कोण एवं पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है

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क्रांतिक कोण एवं पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है, परिभाषा, सूत्र  तथा उदहारण के साथ समझाए 

https://youtu.be/-lBnZHfocys

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क्रांतिक कोण क्या है सूत्र और मान हम जानते हैं कि प्रकाश के अपवर्तन में जब कोई करण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो वह है अभिलंब से दूर हो जाती है यदि माध्यम विरल ना हो तो आपतन कोण परावर्तन कोण का मान बराबर होगा परंतु यहां पर प्रकाश की किरण विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो वह है अविलंब से दूर हट जाती है इस स्थिति में अपवर्तन कोण का मान ज्यादा होता है

आपतन कोण से आपतन कोण का मान घटाने पर अपवर्तन कोण का मान भी घटने लगता है और आपतन कोण का मान बढ़ाने पर अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ने लगता है इस स्थिति में अपवर्तन कोण का मान यदि बढ़ता जाए और 90 डिग्री हो जाए

तब आपतन कोण का ऐसा मान जिस पर अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री हो जाए तो उसे क्रांतिक कोण कहेंगे यानी क्रिटिकल एंगल कहेंगे यही परिभाषा है

 

तब आपतन कोण का ऐसा मान जिस पर अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री हो जाए तो उसे क्रांतिक कोण कहेंगे यानी क्रिटिकल एंगल कहेंगे यही परिभाषा है

 

क्रांतिक कोण का सूत्र

क्रांतिक कोण को स्नेल के नियम से ज्ञात कर सकते है

स्नेल के नियम से अपवर्तनांक (Refractive)

\fn_jvn Refractive =\frac{sin(i)}{sin(r)}

 

 

यहां पर r यानी अपवर्तन कोण का मान 90° रखें तो i यानी आपतन कोण का मान ज्ञात कर सकते है

क्रांतिक कोण का मान

अलग-अलग माध्यम के लिए क्रांतिक कोण का मान अलग अलग होता है जल,हीरे ,हवा सभी के लिए अलग अलग होता है

जल के लिए क्रांतिक कोण का मान कितना होता है

हीरे के लिए क्रांतिक कोण का मान 24.4° होता है

माध्यम का अपवर्तनांक बढ़ने पर क्रांतिक कोण का मान कम हो जाता है और अपवर्तनांक घटने जाने पर क्रांतिक कोण का मान बढ़ता जाता है

क्रांतिक कोण का मान बैंगनी रंग के लिए सबसे कम होता है और लाल रंग के लिए क्रांतिक कोण का मान सबसे अधिक होता है

Source: mechanic37.com

  • answered 4 years ago
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पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total internal reflection) एक प्रकाशीय परिघटना है जिसमें प्रकाश की किरण किसी माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है। इसके लिये आवश्यक शर्त यह है कि प्रकाश की किरण अधिक अपवर्तनांक के माध्यम से कम अपवर्तनांक के माध्यम में प्रवेश करे (अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करे) तथा आपतन कोण का मान 'क्रान्तिक कोण' से अधिक हो।। प्रकाशीय तन्तुओं का कार्य पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर ही आधारित है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिभाषा-सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई प्रकाश की किरण के आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक हो जाता है तब वह किरणों वापस उसी माध्यम में लौट जाती है इसी प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं

हीरे का चमकना पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उदाहरण है

हीरा बहुत ज्यादा पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही चमकता है हीरे के लिए क्रांतिक कोण का मान 24.41° होता है जो कि बहुत ही कम है जब कोई प्रकाश की किरण हीरे से टकराती है तो हीरे का क्रांतिक कोण का मान कम होने के कारण उस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है हीरे से टकराया हुए प्रकाश केवल उन्हीं बिंदुओं से बाहर निकलता है जहां उसे आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से कम मिलता है और बचा हुए प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता रहता है इसलिए हीरे की चमक बढ़ जाती है

मरीचिका या mirage

गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में किसी पेड़ का प्रतिबिंब हमें नीचे दिखाई पड़ता है जैसे कि वह है पेड़ पानी में दिख रहा हो ऐसा इसलिए होता है गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में रेत गर्म हो जाती है जिससे जमीन के पास वाली बाई की परतें बेल माध्यम का काम करती हैं इन जमीन के पास वाली वायु की परतों का घनत्व ऊपर की परतों से कम होता है जमीन के पास की वायु की पर्दे विरल माध्यम और ऊपर सघन माध्यम हो जाता है तब किसी वस्तु से चलने वाली किरण नीचे की और आती है

तब उसे सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करना होगा ऐसे में किरणे अभिलंब से दूर हटेगी आपतन कोण का मान बढ़ने पर अपवर्तन कोण का मान बढ़ता है और आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होने पर इन किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है

  • answered 4 years ago
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