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क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है ? इसका इतिहास क्या है? Why is Christmas Day celebrated? What is its history?

क्रिसमस का दिन जीजस क्रिस्ट का जन्म दिवस माना जाता हैं. इसके बारे में तथ्य बाइबिल में लिखे गए हैं. इनके बारे में कई कहानियाँ कही जाती हैं. तथ्य के अनुसार कहा जाता हैं इनके जन्म के समय गॉड ने मनुष्य को यह संकेत दिए थे कि उनकी रक्षा और उन्हें ज्ञान देने के लिए ईश्वर का एक अंश मसीहा के रूप में आप सभी के बीच जन्म लेने वाला हैं.

जीजस को ही मसीहा कहा जाता हैं, इनकी माँ का नाम मेरी और पिता का नाम जोसेफ था. जब इनका जन्म होने वाला था, तब इनके माता पिता की शादी नहीं हुई थी, इनके पिता एक कारपेंटर थे. इनके जन्म के समय गॉड ने इनके माता पिता को इनके दिव्य होने का संदेशा एक परी के जरिये भिजवाया था और बहुत से ज्ञानी महात्मा लोगो को भी इस बात का पता था, कि ईश्वर का अंश जन्म लेने वाला हैं. इनके जन्म के समय इनके माता पिता एक जंगली इलाके में फंस गये थे, वही कई जानवरों के बीच जीजस का जन्म हुआ था, जिसे देखने कई महान बुद्धिमान लोग आये थे. कहा जाता हैं वह दिन क्रिसमस था.

क्रिसमस के बारे में और एक कहानी है, यूरोप में गैर ईसाई समुदाय के लोग सूर्य के उत्तरायण के मौके पर एक बड़ा त्योहार मनाते थे. इनमें प्रमुख था 25 दिसंबर (25 December) को सूर्य के उत्तरायण होने का त्योहार. इस तारीख़ से दिन के लंबा होना शुरू होने की वजह से, इसे सूर्य देवता के पुनर्जन्म का दिन माना जाता था. कहा जाता है कि इसी वजह से ईसाई समुदाय के लोगों ने इस दिन को ईशू के जन्मदिन के त्योहार क्रिसमस के तौर पर चुना. क्रिसमस से पहले ईस्टर ईसाई समुदाय के लोगों का प्रमुख त्योहार था.

क्रिसमस डे सेलिब्रेशन में सबसे ज्यादा महत्व क्रिसमस ट्री का होता है, इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा कही जाती है, कि कैसे इस दिन ट्री को सजाया जाने लगा.

क्रिसमस के दिन सदाबहार वृक्ष को सजाकर सेलिब्रेशन किया जाता हैं यह परम्परा जर्मनी से शुरू हुई, जिसमे एक बीमार बच्चे को खुश करने के लिए उसके पिता ने सदाबहार वृक्ष को सुंदर तैयार करके उसे गिफ्ट दिया.

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जब जीजस का जन्म हुआ, तब ख़ुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने सदाबहार वृक्ष को सजाया तब ही से इस वृक्ष को क्रिसमस ट्री का प्रतीक समझा जाने लगा और यह परंपरा प्रचलित हो गई.

यह फेस्टिवल क्रिसमस के कई दिनों पहले शुरू हो जाता है, जिसमे क्रिश्चियन जाति के लोग अथवा जो इसे मानते हैं. वे सभी इन दिनों बाइबिल पढ़ते हैं, मैडिटेशन करते हैं और अपने धर्म के अनुसार फ़ास्ट अथवा उपवास भी करते हैं.

क्रिसमस को खास उसकी परम्पराएं बनाती हैं. इनमें एक संता निकोलस (Sant Nicolas) हैं, जिनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशू को समर्पित कर दिया. उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था. यही वजह है कि वो यीशू के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे. इस वजह से बच्चे आज भी अपने संता का इंतजार करते हैं.

क्रिसमस में यीशु के जन्म का सेलिब्रेशन के साथ- साथ दुनियाँ में शांति का संदेश भी देता हैं. यीशु शांति और सदाचार का प्रतीक माने जाते हैं, इन दिनों उनके जीवन संबंधी कहानियाँ पढ़ी एवम सुनाई जाती हैं, जिससे मनुष्य में शांति, दया, सदाचार एवम प्यार का भाव उत्पन्न हो सके.

इन दिनों में सभी अपने घर एवम आसपास के सभी स्थानों को साफ़ करते हैं, उन्हें सजाते हैं. कई अच्छे-अच्छे व्यन्जन बनाते हैं. अपनों के लिए गिफ्ट्स लाते हैं, कार्ड्स बनाते हैं. और एक दुसरे से मिलकर उन्हें कार्ड्स, गिफ्ट्स एवम कई पकवान देते हैं.
इन दिनों चर्च में प्रेयर की जाती हैं, मैडिटेशन करते हैं, सॉंग गाये जाते हैं, कैंडल जलाकर सेलिब्रेशन किया जाता हैं. यीशु के जन्म का सेलिब्रेशन किया जाता हैं, खासतौर पर चर्च में जश्न मनाया जाता हैं.

 

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